Nakshatra Gyan में आज हम बात करेंगे नक्षत्रों की, क्योंकि भारतीय ज्योतिष में इनका बड़ा महत्व है। ये आकाश में मौजूद खास तारे (तारामंडल) होते हैं, जो चंद्रमा की चाल के अनुसार तय किए गए हैं।

नक्षत्र न सिर्फ भविष्य बताने में मदद करते हैं, बल्कि हमारे स्वभाव, स्वास्थ्य, भाग्य और जीवन की दिशा पर भी असर डालते हैं। इस लेख में हम नक्षत्रों के बारे में आसान और रोचक भाषा में जानकारी देंगे, ताकि आप भी इसे आसानी से समझ सकें और अपने जीवन में उपयोग कर सकें।
नक्षत्र क्या होते हैं?
“नक्षत्र” का मतलब होता है – “आकाश के रक्षक तारे”। कुल 27 नक्षत्र होते हैं। ये ऐसे समूह हैं जिनसे होकर चंद्रमा हर दिन गुजरता है। हर नक्षत्र का आकार लगभग 13 डिग्री 20 मिनट का होता है और चंद्रमा एक दिन में एक नक्षत्र पार करता है।
27 नक्षत्रों के नाम: अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आद्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तर फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद, रेवती।
नक्षत्रों का महत्व
नक्षत्रों का उपयोग कुंडली बनाने, शुभ मुहूर्त तय करने, और जीवन के कई अहम फैसलों में किया जाता है। जन्म के समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, वह “जन्म नक्षत्र” कहलाता है। यह हमारे व्यवहार, सोचने की आदत, और भावनाओं को प्रभावित करता है।
विवाह, गृह प्रवेश, जातक का नामकरण, या नया व्यापार शुरू करने जैसे कार्यों के लिए शुभ नक्षत्रों का ध्यान रखा जाता है। इसलिए नक्षत्र सिर्फ आकाशीय चीज नहीं है, बल्कि जीवन का मार्गदर्शक है। इसलिए Nakshatra Gyan से जुडी यह जानकारी सभी को होनी चाहिए।
राशि और नक्षत्र में फर्क
- राशियाँ: ये 12 होती हैं और सूर्य पर आधारित होती हैं। ये हमारे जीवन के बाहरी पहलुओं जैसे करियर, समाजिक छवि आदि को प्रभावित करती हैं।
- नक्षत्र: ये 27 होते हैं और चंद्रमा पर आधारित होते हैं। ये हमारे मन, भावनाओं और सोचने के तरीके पर असर डालते हैं।
चंद्रमा और नक्षत्रों का संबंध
चंद्रमा हर दिन एक नक्षत्र में प्रवेश करता है। जिस नक्षत्र में चंद्रमा जन्म के समय होता है, वह हमारे मानसिक स्वभाव को दर्शाता है। यही वजह है कि चंद्र नक्षत्र को बहुत अहम माना जाता है।
नक्षत्रों के स्वामी और उनका असर
हर नक्षत्र का एक ग्रह और एक देवता होता है। ये मिलकर उस नक्षत्र की प्रकृति तय करते हैं। किसी व्यक्ति का जन्म जिस नक्षत्र में होता है, उसके स्वामी ग्रह और देवता उसके स्वभाव और जीवन पर हमेशा असर डालते हैं। Nakshatra Gyan की यह जानकारी आपको होनी चाहिए।
नक्षत्र के स्वामी ग्रह और देवता कौन हैं ?
नक्षत्र | स्वामी ग्रह | देवता |
---|---|---|
अश्विनी | केतु | अश्विनीकुमार |
भरणी | शुक्र | यम |
कृत्तिका | सूर्य | अग्नि |
रोहिणी | चंद्र | ब्रह्मा |
मृगशिरा | मंगल | सोम |
आद्रा | राहु | रुद्र |
पुनर्वसु | गुरु | अदिति |
पुष्य | शनि | बृहस्पति |
आश्लेषा | बुध | नाग |
मघा | केतु | पितृ |
पूर्वा फाल्गुनी | शुक्र | भग |
उत्तर फाल्गुनी | सूर्य | आर्यमा |
हस्त | चंद्र | सविता |
चित्रा | मंगल | विश्वकर्मा |
स्वाति | राहु | वायु |
विशाखा | गुरु | इंद्र-अग्नि |
अनुराधा | शनि | मित्र |
ज्येष्ठा | बुध | इन्द्र |
मूल | केतु | निरृति |
पूर्वाषाढ़ा | शुक्र | अपः (जल) |
उत्तराषाढ़ा | सूर्य | विश्वदेव |
श्रवण | चंद्र | विष्णु |
धनिष्ठा | मंगल | अष्टवसु |
शतभिषा | राहु | वरुण |
पूर्वा भाद्रपद | गुरु | अजएकपाद |
उत्तर भाद्रपद | शनि | अहिरबुध्न्य |
रेवती | बुध | पूषन |
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नक्षत्र चरण और नामकरण(Nakshatra Gyan)
हर नक्षत्र के चार चरण होते हैं, जिन्हें “पाद” कहते हैं। कुल मिलाकर 27 नक्षत्र × 4 चरण = 108 चरण होते हैं। ये चरण बच्चे यानि जातक के जन्म के समय के आधार पर तय होते हैं। हर चरण का एक विशेष अक्षर होता है जिससे नामकरण किया जाता है।
उदाहरण: अगर किसी बच्चे का जन्म रोहिणी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ हो, तो उसके नाम का पहला अक्षर “ओ” होता है।
यहाँ नक्षत्र, उनके चरण, और प्रत्येक चरण के अनुसार नामकरण (नाम के पहले अक्षर) की सम्पूर्ण तालिका दी जा रही है। इस तालिका का उपयोग सनातन हिन्दू धर्म में जन्म के समय के नक्षत्र और चरण के अनुसार शिशु के नाम के लिए उपयुक्त अक्षर चुनने में किया जाता है। Nakshatra Gyan से जुडी यह जानकारी आप शेयर भी कर सकते हैं।
नक्षत्र चरण और नामकरण तालिका
क्रम | नक्षत्र | चरण 1 | चरण 2 | चरण 3 | चरण 4 |
---|---|---|---|---|---|
1 | अश्विनी | चु | चे | चो | ला |
2 | भरणी | ली | लू | ले | लो |
3 | कृत्तिका | अ | ई | ऊ | ए |
4 | रोहिणी | ओ | वा | वी | वू |
5 | मृगशिरा | वे | वो | का | की |
6 | आर्द्रा | कू | घा | ङा | छा |
7 | पुनर्वसु | के | को | हा | ही |
8 | पुष्य | हू | हे | हो | डा |
9 | आश्लेषा | डी | डू | डे | डो |
10 | मघा | मा | मी | मू | मे |
11 | पूर्वा फाल्गुनी | मो | टा | टी | टू |
12 | उत्तरा फाल्गुनी | टे | टो | पा | पी |
13 | हस्त | पू | षा | णा | ठा |
14 | चित्रा | पे | पो | रा | री |
15 | स्वाती | रू | रे | रो | ता |
16 | विशाखा | ती | तू | ते | तो |
17 | अनुराधा | ना | नी | नू | ने |
18 | ज्येष्ठा | नो | या | यी | यू |
19 | मूल | ये | यो | भा | भी |
20 | पूर्वाषाढ़ा | भू | धा | फा | ढा |
21 | उत्तराषाढ़ा | भे | बो | जा | जी |
22 | श्रवण | जू | जे | जो | खा |
23 | धनिष्ठा | गा | गी | गु | गे |
24 | शतभिषा | गो | सा | सी | सू |
25 | पूर्वा भाद्रपद | से | सो | दा | दी |
26 | उत्तर भाद्रपद | दू | थ | झा | ञा |
27 | रेवती | दे | दो | चा | ची |
कैसे उपयोग करें:
- जन्म नक्षत्र और चरण जानें: ज्योतिषी की मदद से बच्चे के जन्म के समय की कुंडली में नक्षत्र और उसका चरण पता करें।
- तालिका से अक्षर चुनें: तालिका में उस नक्षत्र और चरण के अनुसार अक्षर देखें।
- उस अक्षर से नाम चुनें: नाम उस अक्षर से प्रारंभ करें। यह नामकरण शुभ माना जाता है।
नक्षत्र दोष और उनके उपाय
कुछ नक्षत्रों को अशुभ माना जाता है, जैसे गंडमूल नक्षत्र – अश्विनी, आश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल, रेवती। इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले बच्चों के लिए विशेष पूजा जैसे “गंडमूल शांति पूजा” की जाती है। Nakshatra Gyan से जुडी यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए।
उपाय:
- गंडमूल शांति पूजा
- नक्षत्र स्वामी ग्रह की शांति
- विशेष मंत्रों का जाप (जैसे अश्विनीकुमार मंत्र, यम मंत्र आदि)
नक्षत्रों का दैनिक जीवन में प्रयोग
- मुहूर्त निर्धारण: विवाह, गृह प्रवेश, नौकरी की शुरुआत आदि में शुभ नक्षत्रों का चयन किया जाता है।
- यात्रा: कुछ नक्षत्र यात्रा के लिए अच्छे माने जाते हैं, जैसे पुनर्वसु और पुष्य।
- नवजात शिशु का नामकरण: जन्म नक्षत्र और चरण के अनुसार नाम का पहला अक्षर तय किया जाता है।
Nakshatra Gyan से जुड़ी भ्रांतियाँ
- सिर्फ राशि देखकर भविष्य बताना सही नहीं है, नक्षत्र का राशि से अधिक महत्व है।
- गंडमूल नक्षत्र में जन्म हमेशा अशुभ नहीं होता, अगर उपाय किए जाएं तो जीवन सामान्य रह सकता है।
अब आप समझ गए होंगे कि नक्षत्र सिर्फ आकाश में टिमटिमाते तारे नहीं हैं, बल्कि हमारे जीवन के हर पहलू से जुड़े हुए हैं। इन्हें समझकर हम जीवन को और बेहतर बना सकते हैं।
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